IC-814 विमान हाईजैक करने वाले आतंकियों के मुस्लिम नाम क्यों बदले…डोभाल, ISI और 173 घंटे की असली कहानी जानिए …

  • 25 साल पहले पाकिस्तानी आतंकियों ने प्लेन हाईजैक किया था
  • 173 घंटे तक यानी करीब 7 दिन तक यह बंधक संकट चला था
  • 180 से ज्यादा यात्री और क्रू मेंबर सवार थे विमान में उस दौरान

…. करीब 25 साल पहले 24 दिसंबर 1999 की शाम 5 बजे के करीब नेपाल की राजधानी काठमांडू के त्रिभुवन एयरपोर्ट से नई दिल्ली जाने वाली इंडियन एयरलाइंस की एक फ्लाइट IC-814 उड़ी। विमान जैसे ही भारतीय सीमा में घुसा तभी अंदर बैठे पांच नकाबपोश आतंकी उठ खड़े हुए और उन्होंने यह ऐलान कर दिया कि हमने विमान हाईजैक कर लिया है। इनमें से एक अपहरणकर्ता विमान के कॉकपिट में घुसा और पायलट से कहा कि वह फौरन विमान को लखनऊ की जगह पाकिस्तान लेकर चले। उस वक्त विमान में 176 यात्रियों के अलावा पायलट समेत क्रू के 15 लोग सवार थे। किसे पता था कि यह विमान भारत के इतिहास में एक तारीख बनकर रह जाएगा, जिसकी टीस जब-तब उभरती रहेगी। हाल ही में फिल्म निर्माता अनुभव सिन्हा की वेबसीरीज IC 814 The Kandahar Hijack आई, जिसके किरदारों के नाम को लेकर विवाद हो रहा है। जानतें हैं इस घटना पर लिखी कुछ किताबों के हवाले से पूरी और सच्ची कहानी।

पायलट को गन पॉइंट पर कहा कि पाकिस्तान ले चलो विमान

आईसी-814 के फ्लाइट इंजीनियर रहे अनिल के जगिया और खोजी पत्रकार सौरभ शुक्ला की चर्चित किताब ‘IC 814 Hijacked: The Inside Story’ के अनुसार, पाकिस्तान के हरकत उल मुजाहिदीन के आतंकियों ने गन पॉइंट पर विमान के पायलट कैप्टन देवी शरण से कहा कि इसे पाकिस्तान ले चलो। तब उन्होंने लखनऊ की जगह लाहौर का रुख किया लेकिन इसके लिए उनके विमान में ईंधन कम था। तब उन्होंने विमान के अपहर्ताओं से कहा कि प्लेन में ईंधन कम है, ऐसे में विमान को अमृतसर में उतारना पड़ेगा। हालांकि, विमान की लैंडिंग पर सुरक्षाबलों ने अपहरणकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी की थी जिसका अंदेशा प्लेन के अंदर बैठे आतंकियों को हो गया था। इस वजह से उन्होंने बिना ईंधन लिए वापस लाहौर की उड़ान भरने के लिए पायलट को मजबूर किया। विमान अमृतसर तो रुका, मगर उसने वहां ईंधन नहीं लिया।

अमृतसर से लाहौर आया विमान तो एयरपोर्ट पर सारी लाइटें बंद

शाम छह बजे विमान अमृतसर में यह विमान थोड़ी देर के लिए रुका और वहां से वह लाहौर के लिए रवाना हो गया। जब प्लेन लाहौर पहुंचा तो शुरुआत में पाकिस्तान ने विमान को लाहौर एयरपोर्ट पर उतरने की अनुमति नहीं दी थी। एयरपोर्ट की लाइटें बंद कर दी गई थीं। हालांकि, ईंधन भरने के लिए लाहौर एयरपोर्ट पर उतरने के अलावा कोई चारा नहीं था। काफी ऊहापोह के बाद विमान को लाहौर एयरपोर्ट पर उतरने की अनुमति दी गई। उस वक्त पाकिस्तान सरकार के इजाजत के बिना ये विमान रात को करीब 8 बजे लाहौर एयरपोर्ट पर उतरा।

लाहौर से फिर दुबई पहुंचा विमान, 27 यात्रियों को आतंकियों ने छोड़ा

ईंधन भरने के बाद पाकिस्तान ने विमान के पायलट को तुरंत लाहौर एयरपोर्ट छोड़ने को कहा गया। लाहौर के बाद यह विमान दुबई एयरपोर्ट पहुंचा जहां पर अपहरणकर्ताओं ने ईंधन भरने की एवज में 27 यात्रियों को विमान से उतरने की अनुमति दे दी। इनमें से ज्यादातर महिलाएं और बच्चे थे। भारत ने दुबई एयरपोर्ट पर विमान को अपहरणकर्ताओं से छुड़ाने के लिए यूएई से कार्रवाई की अनुमति मांगी थी लेकिन उसने इनकार कर दिया।

सुबह तालिबानी राज वाले कंधार एयरपोर्ट पर उतरा विमान

लाहौर से दुबई के रास्ते होते हुए इंडियन एयरलाइंस का ये अपहृत विमान अगले दिन सुबह के करीब 8:30 बजे अफगानिस्तान में कंधार एयरपोर्ट पर उतरा। उस वक्त कंधार पर तालिबान का राज था। अपहरण के घटनाक्रम खत्म होने तक यानी 31 दिसंबर तक यह विमान वहां पर खड़ा रहा। भारत ने यहां भी आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई की तालिबान से मंजूरी मांगी थी, मगर उसने मना कर दिया था।

पांचों आतंकियों के कोड नेम-चीफ, बर्गर, डॉक्टर, शंकर और भोला

नीलेश मिश्रा की किताब विमान के अंदर 173 घंटे के पैनिक हालात के बारे में बयां करती हैं। इसी किताब में यह बताया गया है कि पांचों आतंकी एक-दूसरे को चीफ, बर्गर, डॉक्टर, शंकर और भोला जैसे कोड नाम से बुलाते थे। हाल में आई इस वेब सीरीज में भी इन्हीं नामों का जिक्र किया गया है, जिस पर विवाद हो रहा है।

गृह मंत्रालय ने बताया था आतंकियों के असली नाम

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 6 जनवरी, 2000 को बताया था कि पांचों अपहरणकर्ताओं के असली नाम कुछ इस तरह से थे। बहावलपुर के इब्राहिम अतहर, कराची के शाहिद अख्तर सईद उर्फ गुलशन इकबाल, कराची के डिफेंस एरिया के सनी अहमद काजी, कराची के अख्तर कॉलोनी के मिस्त्री जहूर इब्राहिम और सुक्कुर सिटी के शाकिर। विदेश मंत्रालय की रिलीज में बताया गया था कि हाईजैकर्स ने विमान में खुद के लिए चीफ, डॉक्टर, बर्गर, भोला और शंकर जैसे कोडनेम रखे हुए थे। ऐसे में फिल्म निर्माताओं पर ये आरोप लगाना सही नहीं होगा कि उन्होंने जान-बूझकर मुस्लिम आतंकियों के नाम बदल दिए थे।

अपहरणकर्ताओं ने 36 आतंकियों की रिहाई के साथ मांगे थे 20 करोड़ डॉलर

अपरहरणकर्ताओं ने भारत में बंद 36 आतंकियों की रिहाई के साथ-साथ 20 करोड़ अमरीकी डॉलर की फिरौती की मांग रखी थी। मगर, सरकार ने जब उनकी यह मांग सिरे से खारिज कर दी तो वह तीन आंतकियों की रिहाई पर अड़ गए। बताया जाता है कि कंधार में जब यह विमान खड़ा था तो तालिबान ने उस वक्त बताया कि भारत ने कमांडो एक्शन की मांग की थी, लेकिन इसकी उन्हें इजाजत नहीं दी गई थी।

जसवंत सिंह के साथ आए तीन आतंकी

अपहरण संकट समाप्त होने तक कंधार एयरपोर्ट भारत और तालिबानी अधिकारियों का केंद्र रहा। उस दौरान वाजपेयी सरकार में विदेश मंत्री रहे जसवंत सिंह को दो बार कंधार एयरपोर्ट जाना पड़ा था। पहली बार वो आतंकियों से बातचीत करने गए थे। दूसरी बार वह भारत की जेल में बंद आतंकियों जैश-ए-मोहम्मद के मौलाना मसूद अजहर, मुश्ताक जरगर और अहमद उमर सईद शेख को लेकर आए थे, ताकि उसके बदले यात्रियों को आतंकियों के चंगुल से छुड़ाया जा सके।

आईसी-814 के कैप्टन की लिखी किताब पर आधारित है नई वेबसीरीज

नई वेबसीरीज पत्रकार श्रींजॉय चौधरी और आईसी-814 के कैप्टन देवी शरण की लिखी किताब ‘फ्लाइट इन टू फियर: द कैप्टन स्टोरी’ पर आधारित है। इसमें विजय वर्मा, नसीरुद्दीन शाह, पंकज कपूर, मनोज पाहवा, अरविंद स्वामी, अनुपम त्रिपाठी, दीया मिर्जा, पत्रलेखा, अमृता पुरी, दिव्येंदु भट्टाचार्य, कुमुद मिश्रा प्रमुख भूमिकाओं में हैं। इस वेबसीरीज को लेकर भले ही सोशल मीडिया बंटा हो, मगर इसकी जमकर तारीफ भी हो रही है।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *